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सागर से ये 40 किलोमीटर, हादसों की सड़क क्या आप गए हैं कभी इस रास्ते पर, यहाँ बस रास्ता ही रास्ता है

इस सड़क को मौत की सड़क भी कहते हैं, हर साल दर्जनों लोग गवाते हैं जान।

अमित प्रभु मिश्रा

रोड की बनावट में छिपा हादसों का  कारण
सड़क किनारे नहीं बची ज़मीन।
 रोड उतरते ही हादसों का डर।
वाहनों से लेकर पैदल लोगों व मवेशियों तक का ठिकाना रोड।

सागर। सागर – कानपुर रोड जिस पर बंडा ब्लॉक तक का सफर दिल दहला देने वाला है। आये दिन हादसों का शिकार हो रहे लोग। सड़क किनारे बंधी गायें हो अचानक सड़क पर घोड़ों के दौड़ना इस सड़क पर ये नज़ारे आम हैं। यहां सड़क पर चलना कठिन है तो सड़क से नीचे उतरना भी मुनासिब नहीं है। पहिये के अविष्कार ने दुनिया को रफ्तार दी और इस पहिये को दौड़ाने के साथ सड़कों पटरियों का निर्माण विकास की इस दौड़ में सबसे मूलभूत अधोसंरचना है। यही संरचना यदि गड़बड़ियों से भरी हो तो पहिये मौत के सफर की ओर ले जाएंगे। बंडा रोड और हादसों का चोली दामन का साथ है। यहाँ केरबना से कर्रापुर के बीच सबसे ज़्यादा हादसे पेश आते हैं। इस रोड पर सैकड़ों लोग अपनी जान गवा चुके हैं तो इससे कहीं ज़्यादा घायल होते हैं। बावजूद इसके इस रोड को अब तक हादसा मुक्त नहीं किया जा सका।

रोड से उतरते ही हो जाता है हादसा

हादसों का कारण

शहर से बाहर निकलने वाली सड़कों के पास की खाली सरकारी भूमि पर लोगों ने कब्जा कर लिया है। इससे सड़कें तो डेमेज हो ही रही हैं। हादसों की आशंका भी बढ़ रही है। विभाग ने इस दिशा में अब तक कार्रवाई करना तो दूर संज्ञान में भी नहीं लिया है। सड़कों के पास जमीन छोड़ने का एक बड़ा फायदा यह होता है कि ऐसे वाहन या वस्तुएं जिन्हें सड़क मार्ग से ले जाने में उनका नुकसान हो सकता है। ऐसे वाहन बची हुई जमीन से निकलें। जमीन नहीं होने से वे वाहन और वस्तुएं भी रोड से ही ले जाई जा रही है। इससे रोड डेमेज हो रहा है।
रोड के पास की खाली भूमि पर अतिक्रमण होने के कारण रोड के पास जगह नहीं बची। ऐसे में वाहनों और पैदलयात्रियों के चलने के लिए केवल रोड ही बचती है। ऐसे में आेवरटेक करते समय कम जगह के कारण आए दिन हादसे होते हैं और इनकी आशंकाएं बढ़ रही हैं। हादसे के दौरान या तो वाहन की चपेट में आने से व्यक्ति घायल होता है या खेतों के लिए लगाई बागड़ों में घुसने से।

रत्ती भर भी नहीं बची जगह

क्या है नियम

हाईवे रोड सहित आवागमन के लिए बनी अन्य सड़कों के पास खाली जमीन छोड़ी जाती है। यह रोड को कवर करती है। इसके अलावा राहगीरों को हादसों से भी बचाती है। नियमानुसार स्टेट हाईवे पर यह जमीन 52 फीट छूटना चाहिए और अन्य सड़कों पर 42 फीट। विभाग द्वारा इसमें पांच फीट तक की रियायत दी जाती है। पड़ताल की तो पता चला कि कहीं भी 15 फीट से अधिक जगह नहीं छूटी है।

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