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जब सागर में सिक्कों से हुआ अटल जी का तुलादान।

अमित प्रभु मिश्रा

जब सागर में सिक्कों से हुआ अटल जी का तुलादान।

अपनेपन की बोली और सबका मन मोह लेने वाला बोलने का ढंग। वो शब्द जो ओठों से निकलते ही जीवंत हो उठते थे,,,अब कभी सुनाई नहीं देंगे। अटल जी अद्भुत अप्रतिम और बेजोड़ किरदार थे। सागर विधायक शैलेन्द्र कहते हैं की आदरणीय अटलजी निश्चितरूप से हमेशा उनके प्रेरणास्रोत रहे हैं और रहेंगे। एक अलग अनूठा अंदाज़ गैरराजनैतिक वगक्तित्व होने के बाद भी हृदय से कवि और जुनून से बदलाव के नायक राजनीति में ऐसे रचे बसे की क्या पक्ष क्या विपक्ष सर्वप्रिय हो गए। सागर से उनका अटूट रिश्ता रहा कई बार आनाजाना हुआ बहुतेरी सभाएं हुईं। लेकिन बुजुर्ग बताते हैं 1982 में सिक्कों से उनका तुलादान हुआ तो कह गए हम भी अब अंतुले नहीं रहे तुले हो गए। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम को लेकर चुटकी ले ही ली। विदिशा लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे जो सागर से लगा हुआ था। वजह यह भी रही की सागर से उनका जुड़ाव रहा। स्वर्गीय अटल बुहारी वाजपेयी को एमपी सरकार का राज्य स्तरीय रामजी महाजन सम्मान और योग के क्षेत्र में स्वामी विवेकानन्द पुरस्कार भी मिला है। योग और आयर्वेद के क्षेत्र में कई संगठनों से जुड़े रहे।

परमाणु परीक्षण

कठोर निर्णयों को सरलता से लिया

प्रधानमंत्री बनने के बाद जब उन्होंने परमाणु बम बनाने का निर्णय लिया तो उन्होंने कहा था कि यह देश की रक्षा के लिए है। अंतर्राष्टीय दबाव के बीच उन्होंने बेबाकी से कहा था, विदेशियों की क्या परवाह करना।

भावभीनि श्रद्धांजि कुछ पंक्तियां

न पेड़ है न फूल है न फसल है
न खेत है न किसान है न हल है
न ईंट है न गारा है न महल है
न ऐसा कोई आज है जो कल है

न ग्रंथ है न शब्द है न रहल है
इस जहां का आज है न कल है
न लहर तूफान है न जल है
वो समंदर है धरातल है बस अटल है

अमित प्रभु मिश्रा

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